कंगना रनौत की बढ़ सकती हैं मुश्किलें: राष्ट्रद्रोह मामले में कोर्ट में रिवीजन, 2 जून को सुनवाई

 आगरा में किसानों और शहीदों पर कथित टिप्पणी का मामला, निचली अदालत से मिली थी राहत, अब सत्र न्यायालय में चुनौती; क्या बढ़ेगी भाजपा सांसद की मुश्किल?
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Bollywood actress Kangana Ranaut
आगरा, उत्तर प्रदेश: हिमाचल प्रदेश के मंडी से नवनिर्वाचित भाजपा सांसद और बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं। उनके खिलाफ आगरा में दायर किए गए राष्ट्रद्रोह के एक अहम मुकदमे में निचली अदालत से मिली राहत अब सत्र न्यायालय में चुनौती दी गई है। इस हाई-प्रोफाइल मामले पर 2 जून को सुनवाई होनी है, जिस पर देशभर की निगाहें टिकी हुई हैं। यह मामला कंगना द्वारा कथित तौर पर देश के किसानों के खिलाफ की गई अभद्र टिप्पणियों और क्रांतिकारी शहीदों व स्वतंत्रता सेनानियों के अपमान से जुड़ा है।READ ALSO:-आगरा में गहराया रहस्य: बैंककर्मी की पत्नी का शव फंदे से लटका मिला, हत्या या आत्महत्या? मायके वालों ने लगाया हत्या का

 

क्या है पूरा विवाद?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब राजीव गांधी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, वरिष्ठ अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने 11 सितंबर, 2024 को कंगना रनौत के खिलाफ आगरा में यह वाद दायर किया। अधिवक्ता शर्मा ने आरोप लगाया था कि कंगना रनौत ने अपनी टिप्पणियों से न केवल देश के अन्नदाताओं का अपमान किया है, बल्कि उन महान हस्तियों की भी बेकद्री की है जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।

 

इस मामले की सुनवाई आगरा के एमपी-एमएलए विशेष अदालत में चल रही थी, जिसकी अध्यक्षता अनुज कुमार सिंह कर रहे थे। अदालत ने कंगना रनौत को अपना पक्ष रखने के लिए हिमाचल प्रदेश के कुल्लू मनाली स्थित उनके निवास और दिल्ली के पते पर तीन बार नोटिस भेजे थे। इस मुकदमे पर सात महीने से भी अधिक समय तक विस्तृत सुनवाई चली।

 

निचली अदालत ने क्यों दिया था क्लीन चिट?
6 मई को, एमपी-एमएलए अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कंगना के खिलाफ दायर इस वाद को खारिज कर दिया था। अदालत ने अपने फैसले के पीछे दो मुख्य तर्क दिए थे:

 

प्रत्यक्ष संबंध का अभाव: अदालत ने टिप्पणी की थी कि वादी (रमाशंकर शर्मा) या उनके परिवार का कोई भी सदस्य किसानों के उस धरने में मौजूद नहीं था, जिसके बारे में कंगना ने टिप्पणी की थी। इससे वादी का मामले से सीधा संबंध स्थापित नहीं हो पा रहा था।

 

सरकारी अनुमति की कमी: दूसरा और महत्वपूर्ण कारण यह था कि ऐसे मामलों में वाद दायर करने से पहले राज्य सरकार या जिलाधिकारी से आवश्यक अनुमति नहीं ली गई थी, जो कानूनी प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा है।

 

अब सत्र न्यायालय में नया दांव
निचली अदालत के इस फैसले से असंतुष्ट होकर, वादी अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने शुक्रवार को सत्र न्यायालय जिला जज की कोर्ट में एक 'रिवीजन' याचिका प्रस्तुत की है। इस रिवीजन याचिका में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई है और मामले की फिर से सुनवाई की मांग की गई है।

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2 जून को सत्र न्यायालय में होने वाली सुनवाई अब इस मामले का भविष्य तय करेगी। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या सत्र न्यायालय निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखता है या कंगना रनौत को इस मामले में नई कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। चूंकि कंगना अब एक सांसद भी हैं, इसलिए इस मामले पर राजनीतिक गलियारों और मीडिया में भी गहरी नज़र रखी जा रही है।
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