आगरा में शिक्षा का काला कारोबार: एसटीएफ ने पकड़ा फर्जी मार्कशीट बनाने वाला गिरोह, 8000 से ज्यादा नकली डिग्रियां बरामद

ऑन डिमांड हाईस्कूल से लेकर प्रोफेशनल कोर्स तक की फर्जी मार्कशीट बनाने वाला सरगना गिरफ्तार, ढाई लाख रुपये तक में बेचता था डिग्री, 300 से ज्यादा लोगों के सरकारी नौकरी में होने का खुलासा
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उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में शिक्षा के नाम पर एक बड़ा गोरखधंधा चल रहा था, जिसका पर्दाफाश गुरुवार को उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की आगरा यूनिट ने किया। एसटीएफ ने एक ऐसे गिरोह के सरगना को गिरफ्तार किया है जो ऑन डिमांड हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, ग्रेजुएशन और विभिन्न प्रोफेशनल कोर्स की फर्जी मार्कशीट और डिग्रियां तैयार करता था। टीम ने आरोपी के कब्जे से भारी मात्रा में अलग-अलग शिक्षण संस्थानों और कॉलेजों की नकली मार्कशीटों के साथ-साथ ब्लैंक मार्कशीट भी बरामद की हैं।READ ALSO:-UP के 1.5 लाख जनसुविधा केंद्रों पर अब मिलेंगी परिवहन विभाग की सभी ऑनलाइन सेवाएं, सिर्फ 30 रुपये में होगी लर्निंग लाइसेंस की सुविधा

 

एसटीएफ के अधिकारियों के अनुसार, गिरफ्तार किए गए सरगना की पहचान धनेश मिश्रा के रूप में हुई है। प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि यह गिरोह देश भर की विभिन्न विश्वविद्यालयों की फर्जी मार्कशीट और डिग्रियां बनाकर जरूरतमंदों को बेचता था। एसटीएफ का दावा है कि आरोपी अब तक एक मार्कशीट या डिग्री के लिए ढाई लाख रुपये तक वसूलता था और पिछले चार सालों में लगभग 8000 से ज्यादा फर्जी मार्कशीट बेच चुका है। आरोपी से पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जिनकी जांच अभी जारी है। आरोपी के खिलाफ शाहगंज थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है।

 

बरामद की गई प्रमुख संस्थानों की मार्कशीटें और प्रमाण:-
एसटीएफ ने आरोपी के ठिकाने से निम्नलिखित प्रमुख संस्थानों की फर्जी मार्कशीट और प्रमाण पत्र बरामद किए हैं, जिससे इस रैकेट की व्यापकता का अंदाजा लगाया जा सकता है:
  • ईस्टरन इंस्टीट्यूट, सिक्किम
  • जेएस कॉलेज, फिरोजाबाद
  • मानव भारती यूनिवर्सिटी, सोलन (हिमाचल प्रदेश)
  • तिलक महाजी यूनिवर्सिटी, भागलपुर (बिहार)
  • राष्ट्रीय कंप्यूटर शिक्षा मिशन
  • ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा (बिहार)
  • सीएमजे मेघालय यूनिवर्सिटी
  • जोधपुर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय (राजस्थान)
  • सुभारती यूनिवर्सिटी, मेरठ (उत्तर प्रदेश)
  • अग्रवन यूनिवर्सिटी, आगरा (उत्तर प्रदेश)
  • जयपुर नेशनल विश्वविद्यालय (राजस्थान)
  • मंगलायतन यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)
  • महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी, उत्तराखंड
  • मोनद यूनिवर्सिटी, हापुड़ (उत्तर प्रदेश)
  • कैपिटल यूनिवर्सिटी, झारखंड
एक दुकान से हुई गिरफ्तारी:
एसटीएफ की आगरा यूनिट के प्रभारी निरीक्षक हुकुम सिंह ने बताया कि उन्हें लगातार फर्जी मार्कशीट बनाए जाने की शिकायतें मिल रही थीं, जिसके बाद टीम सक्रिय रूप से छानबीन कर रही थी। टीम को गुप्त सूचना मिली कि शाहगंज थाना क्षेत्र के अर्जुन नगर गेट के पास एक व्यक्ति नकली मार्कशीट बनाने का धंधा चला रहा है। इसी सूचना के आधार पर एसटीएफ की टीम ने उस स्थान पर छापा मारा।

 

प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि मार्केट में स्थित एक दुकान से धनेश मिश्रा को हिरासत में लिया गया। उससे गहन पूछताछ की गई और दुकान की तलाशी ली गई, जिसके दौरान हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, ग्रेजुएशन और अन्य प्रोफेशनल कोर्स की बड़ी मात्रा में फर्जी मार्कशीटें बरामद हुईं। इसके अलावा, विभिन्न विश्वविद्यालयों की बड़ी संख्या में ब्लैंक मार्कशीटें भी मिली हैं, जिनका इस्तेमाल फर्जी डिग्रियां बनाने के लिए किया जाता था।

 

आरोपी का कबूलनामा और रैकेट का खुलासा:
प्रभारी निरीक्षक हुकुम सिंह ने बताया कि आरोपी धनेश मिश्रा से पूछताछ में उसने कबूल किया है कि वह पिछले चार सालों से इस गोरखधंधे में लिप्त है। उसने बताया कि वह देशभर की अधिकांश प्राइवेट यूनिवर्सिटी की फर्जी मार्कशीट बनाकर बेचता था और अब तक 8 हजार से अधिक नकली मार्कशीट बेच चुका है।

 

एसटीएफ को आरोपी के पास से कुल 1046 मार्कशीटें मिली हैं, जिनमें 942 फर्जी हैं, जबकि शेष ब्लैंक हैं। आरोपी ने यह भी खुलासा किया है कि उसका चार विश्वविद्यालयों के साथ टाइअप था, जिनके माध्यम से वह आगरा से छात्रों के फॉर्म भरवाता था ताकि उसकी गतिविधियों पर शक न हो।

 

डिप्लोमा और डिग्री के हिसाब से तय थे दाम:
पूछताछ में आरोपी धनेश मिश्रा ने बताया कि वह डिप्लोमा और डिग्री कोर्स के आधार पर मार्कशीट और डिग्री के दाम तय करता था। उसने बताया कि बी फार्मा, डी फार्मा और एमबीए जैसे प्रोफेशनल कोर्सेज की फर्जी मार्कशीट और डिग्री वह दो से ढाई लाख रुपये तक में तैयार करके देता था। वहीं, बीए, बीएससी, बीकॉम, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की फर्जी मार्कशीट बनवाने के लिए वह 20 हजार से 50 हजार रुपये तक लेता था। एसटीएफ ने आरोपी से उन लोगों का रिकॉर्ड भी बरामद किया है जिन्होंने उससे फर्जी मार्कशीट बनवाई थी, जिसकी गहन जांच की जाएगी।

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फर्जी मार्कशीट से सरकारी नौकरी:
एसटीएफ टीम की पूछताछ में आरोपी ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उसने बताया कि देश के अलग-अलग राज्यों में उसने युवाओं को फर्जी मार्कशीटें बेची हैं और उनमें से करीब 300 से अधिक युवा तो विभिन्न संस्थानों में सरकारी नौकरी भी कर रहे हैं। एसटीएफ अब आरोपी से पूछताछ और उससे जब्त किए गए रिकॉर्ड के आधार पर ऐसे लोगों की सूची तैयार कर रही है, ताकि उन राज्यों की पुलिस को उनके नाम और फर्जीवाड़े से हासिल की गई नौकरियों के बारे में जानकारी दी जा सके और उचित कार्रवाई की जा सके।

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पहले भी सामने आए हैं ऐसे मामले:
खबर में फर्जी मार्कशीट के कुछ पुराने मामलों का भी जिक्र किया गया है, जिसमें मथुरा में 15 जनवरी को एक ऐसे ही गिरोह का पर्दाफाश हुआ था, जिसमें पांच लोग गिरफ्तार हुए थे। इसके अलावा, चार माह पूर्व लखनऊ में भी एक व्यक्ति को फर्जी मार्कशीट बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 2023 में गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने भी एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया था और तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया था। ये घटनाएं दर्शाती हैं कि फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्रों का यह धंधा काफी समय से चल रहा है और इस पर लगाम लगाने की सख्त जरूरत है।

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