Afganistan: प्रधानमंत्री वैश्विक आतंकी, मोस्ट वांडेट गृहमंत्री पर 37 करोड़ का इनाम; कैबिनेट में ज्यादातर खूंखार आतंकवादी

आतंकी संगठन तालिबान  (Taliban) के कब्जे वाले इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान (Islamic Emirate of Afghanistan) में नई सरकार (Taliban New Goverment) दुनिया के लिए बड़ा खतरा बन सकती है।

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आतंकी संगठन तालिबान  (Taliban) के कब्जे वाले इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान (Islamic Emirate of Afghanistan) में नई सरकार (Taliban New Goverment) दुनिया के लिए बड़ा खतरा बन सकती है। बुधवार को तालिबान ने अपनी नई सरकार (Afganistan New Goverment) का ऐलान किया है, तालिबान ने कैबिनेट में जिन नेताओं को शामिल किया है उनमें से ज्यादातर खूंखार आतंकवादी और क्रूर हत्यारे हैं। प्रधानमंत्री (Afganistan Prime Minister) से लेकर गृहमंत्री वैश्विक आतंकवादी हैं, जबकि  नई कैबिनेट में सुरक्षा, खुफिया एजेंसी की जिम्‍मेदारी जैसे पद भी दहशतगर्दों को ही दिए गए हैं। यह एक चेतावनी भरा संकेत है।' उन्‍होंने कहा कि इस तैनाती से यह स्‍पष्‍ट संकेत मिलता है कि तालिबान के काम करने की प्रक्रिया में 20 साल बाद भी कोई बदलाव नहीं आया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि दुनिया अफगानिस्तान में बनी आतंकवादियों की सरकार को कैसे मान्यता देगी।

 

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मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद (Mullah Mohammad Hassan Akhund) अफगानिस्तान का नया प्रधानमंत्रीबन बैठा है, यह संयुक्त राष्ट के वैश्विक आतंकियों की सूची (United Nations list of global terrorists) में शामिल है। इतना ही नहीं अफगानिस्तान का गृहमंत्री (Afghan interior minister) बनाया गया सिराजुद्दीन हक्कानी (Sirajuddin Haqqani) भी दुनिया का मोस्ट वांटेड आतंकवादी है और उसकी सूचना देने पर अमेरिका ने 50 लाख डॉलर (इंडियन करेंसी के मुताबिक करीब 37 करोड़ रुपए) का इनाम घोषित कर रखा है। लश्‍कर आतंकियों के साथ गहरे संबंध रखने वाले मुल्‍ला उमर के बेटे मुल्‍ला याकूब को रक्षा मंत्री बनाया गया है। इसके अलावा अब्‍दुल हक वासेक, ताज मीर जैसे क्रूर हत्‍यारों को भी बड़े पद दिए गए हैं। तालिबान प्रमुख शेख हिब्दुल्लाह अखुंदजादा सर्वोच्च नेता होंगे जिन्हें अमीर-उल-अफगानिस्तान कहा जाएगा।

 

पीएम मुल्ला हसन अखुंद यूएन का प्रतिबंधित आतंकी

अफगानिस्तान में तालिबान सरकार का मुखिया बना मुल्ला हसन अखुंद संयुक्त राष्ट के वैश्विक आतंकियों की सूची में शामिल है। मुल्ला मोहम्मद हसन वर्तमान में तालिबान के शक्तिशाली निर्णय लेने वाले निकाय, रहबारी शूरा या नेतृत्व परिषद के प्रमुख है। मोहम्‍मद हसन तालिबान के जन्मस्थान कंधार से ताल्लुक रखता है और आतंकी आंदोलन के संस्थापकों में से एक है। ये तालिबान (Taliban) की पहली सरकार में काम कर चुका है। इसके पास अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी होने का अनुभव है। Read ALso : अफगानिस्तान : तालिबान ने की अंतरिम सरकार की घोषणा, अखुंदजादा बना प्रधानमंत्री; देखें पूरी कैबिनेट की लिस्ट

 

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मुल्ला हसन अखुंद ने रहबारी शूरा के प्रमुख के रूप में 20 साल तक काम किया है और बहुत अच्छी प्रतिष्ठा अर्जित की। वह एक सैन्य पृष्ठभूमि के बजाय एक धार्मिक नेता है। इसे इस्लाम धर्म का विद्वान माना जाता है और ये शरिया क़ानून का कट्टर समर्थक है। ये बम धमाकों से जेहाद फैलाने की ट्रेनिंग भी दे चुका है। मुल्ला हसन अखुंद NATO देशों की सेनाओं पर जेहादी हमलों का नेतृत्व कर चुका है और हज़ारों आतंकवादियों को Suicide Bombers बनाने का अनुभव भी इसके पास है। Read Also : Fire breaks out at jail in Indonesia : इंडोनेशिया की जेल में भीषण आग, 41 ड्रग कैदी जिंदा जल गए, 39 झुलसे

 

सिराजुद्दीन हक्कानी अमेरिका का मोस्ट वांटेड

अफगानिस्तान का गृह मंत्री या आंतरिक मंत्री बना सिराजुद्दीन हक्कानी अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई की हिटलिस्ट में शामिल हैं। अमेरिकी सरकार ने तो बाकायदा इस आतंकी के ऊपर 5 मिलियन डॉलर (करीब 37 करोड़ रुपये) का इनाम भी रखा हुआ है। पिता जलालुद्दीन हक्कानी की मौत के बाद सिराजुद्दीन हक्कानी, हक्कानी नेटवर्क की कमान संभाले हुए है। हक्कानी समूह पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर तालिबान की वित्तीय और सैन्य संपत्ति की देखरेख करता है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि हक्कानी ने ही अफगानिस्तान में आत्मघाती हमलों की शुरुआत की थी। हक्कानी नेटवर्क को अफगानिस्तान में कई हाई-प्रोफाइल हमलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। उसने तत्कालीन अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या का प्रयास भी किया था। Read Also : मैक्सिको में 7.1 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप, बाढ़ से 17 की मौत; अब सुनामी का खतरा

 

सिराजुद्दीन 2001 के बाद से ही हक्कानी नेटवर्क का सरगना

कहा जाता है कि सिराजुद्दीन का बाप और हक्कानी नेटवर्क की स्थापना करने वाला जलालुद्दीन हक्कानी 2013 या 2015 के बीच मारा गया, लेकिन सिराजुद्दीन 2001 के बाद से ही हक्कानी नेटवर्क का सरगना बना हुआ है। सिराजुद्दीन पाकिस्तान के वजीरिस्तान में ही रहता है। हक्कानी नेटवर्क ने 2008 में भारतीय दूतावास पर हमला किया था जिसमें 58 की मौत हुई थी। 2012 में अमेरिका ने हक्कानी नेटवर्क को बैन किया था। 2014 में हक्कानी समूह ने पेशावर के स्कूल पर हमला किया जिसमें 200 बच्चे मारे गए। 2017 में इन्होंने काबुल में हमला किया, इस हमले में150 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।

 

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ये आतंकी भी शामिल

आमिर खान मुत्ताकी विदेश मंत्री होगा। मुत्ताकी को तालिबान (Taliban) के सबसे खतरनाक आतंकवादियों में गिना जाता है। खैरुल्लाह खैरख्वाह सूचना प्रसारण मंत्री होगा। ये आतंकवादी अमेरिका की जेल में 12 साल रह चुका है।

 

कैसे मान्यता देगी दुनिया

दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है, जब वैश्विक आतंकी किसी सरकार में सबसे ऊंचे ओहदे पर बैठे हुए हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जिन-जिन देशों ने इन आतंकियों पर प्रतिबंध लगाए हुए हैं, वे आखिरकार तालिबान सरकार को मान्यता कैसे देंगे। अगर ये देश नियमों तो ताक पर रखकर मान्यता देते हैं तो इसे आतंकवाद के साथ समझौता माना जाएगा। दूसरी तरफ ऐसी मिसाल कायम होगी कि आतंकी होने के बावजूद सरकार का प्रमुख बनने पर सभी अपराध माफ हो जाते हैं। मुल्ला हसन अखुंद और सिराजुद्दीन हक्कानी के ऊपर से वैश्विक आतंकी और मोस्ट वाॉन्टेड का 'तमगा' हटाना कोई आसान बात नहीं है। अगर कोई आतंकी संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकियों वाली सूची में शामिल होता है तो वह दुनियाभर के अधिकतर देशों में अपने आप ही प्रतिबंधित हो जाता है। भारत भी संयुक्त राष्ट्र के डेजिग्नेटेड टेररिस्ट सूची को मान्यता देता है। ऐसे में इन देशों के लिए तालिबान सरकार को मान्यता देना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है।

 

अफगान कैबिनेट 

  1. मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद : प्रधानमंत्री 
  2. मुल्ला बरादर : डिप्टी PM 1
  3. अब्दुल सलाम हनाफी : डिप्टी PM 2
  4. सिराजुद्दीन हक्कानी : गृह मंत्री
  5. मुल्ला मोहम्मद याकूब : रक्षा मंत्री 
  6. सिराजुद्दीन हक्कानी :आंतरिक मंत्री
  7. मुल्ला खैरुल्ला खैरख्वा : सूचना मंत्री
  8. शेख मौलवी नूरुल्ला मुनीर : शिक्षा मंत्री
  9. जबीहुल्लाह मुजाहिद : उप सूचना मंत्री
  10. मौलवी अमीर खान मुत्ताकी : विदेश मंत्री
  11. शेर मोहम्मद स्टेनेकजई : उप विदेश मंत्री  (इसने ही पिछले दिनों दोहा में भारत के राजदूत दीपक मित्तल से मुलाकात की थी)
  12. शेर मोहम्मद अब्बास : सहायक विदेश मंत्री होंगे
  13. कारी फसीहउद्दीन: रक्षा मंत्रालय में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ  (ताजिक मूल के तालिबान कमांडर, इसके नेतृत्व में ही तालिबान ने पंजशीर की लड़ाई लड़ी और जीती)
  14. मुल्ला अब्दुल हक वासिक : नेशनल डायरेक्टोरेट ऑफ सिक्यूरिटी (NDS) प्रमुख
  15. मुल्ला फजल अखुंद : सेना प्रमुख
  16. मुल्ला हिदायत बद्री : वित्त मंत्री
  17. ,कारी दीन मोहम्मद : अर्थव्यवस्था मंत्री
  18. मौलवी नूर मोहम्मद साकिब : हज और बंदोबस्ती मंत्री
  19. मौलवी अब्दुल हकीम : न्याय मंत्री 
  20. मुल्ला नूरुल्ला नूरी : जनजातीय मामलों का मंत्री
  21. शेख मोहम्मद खालिद : निमंत्रण और मार्गदर्शन मंत्री
  22. हाजी मोहम्मद इस्सा वेसर: पेट्रोलियम मंत्री
  23. मुल्ला हमीदुल्लाह अखुंदजादा वेसर : परिवहन मंत्री
  24. खलीलउर्रहमान हक्कनी : शरणार्थी मामलों के मंत्री
  25. मौलवी नजीबुल्लाह हक्कानी:  चीफ ऑफ इंटेलिजेंस
  26. मुल्ला ताज मीर जवाद : डिप्टी चीफ ऑफ इंटेलिजेंस 
  27. हाजी मोहम्मद इदरीस : संरक्षक अफगानिस्तान बैंक

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