सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को लगाई लताड़, कहा- आपने पूरे शहर का गला घोंट दिया है, यह सब बंद होना चाहिए

Supreme Court ने कहा कि "आपको विरोध-प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन नेशनल हाईवे ब्लॉक होने के चलते लोगों को परेशानी में नहीं डाला जा सकता है।

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कृषि कानूनों (Agricultural Laws) के खिलाफ विरोध कर रहे किसानों को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि जब किसान संगठन (Farmers Organization) पहले ही कृषि कानूनों को चुनौती देने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा चुके हैं तो कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन क्यों जारी रखा है, इसका क्या मतलब बनता है। दरअसल किसानों ने जंतर मंतर (Jantar Mantar) पर विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिस पर न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अगुवाई वाली पीठ ने किसानों को लताड़ दिया।

 

आप सुरक्षा और रक्षा कर्मियों को बाधित कर रहे हैं : Supreme Court

दरअसल किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा था कि जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण और अहिंसक विरोध प्रदर्शन करने के लिए 200 किसानों को एकजुट होने की अनुमति दी जाए। इसके जवाब में कोर्ट ने कहा कि "आपको विरोध-प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन नेशनल हाईवे ब्लॉक होने के चलते लोगों को परेशानी में नहीं डाला जा सकता है। आपने पूरे शहर का गला घोंट दिया है, अब आप शहर के अंदर आना चाहते हैं! आसपास के निवासी, आम लोग उन्हें भी आवाजाही का हक है, क्या वे आपके विरोध से खुश हैं? यह सब बंद होना चाहिए। आप सुरक्षा और रक्षा कर्मियों को बाधित कर रहे हैं। यह सब रोका जाना चाहिए। एक बार जब आप अदालत में कानूनों को चुनौती देने आते हैं तो विरोध करने का कोई मतलब नहीं है।" Read ALso :Air India को क्यों बेच रही है सरकार, कंपनी की है कितनी संपत्ति और खरीददार को क्या-क्या मिलेगा, जानिए सबकुछ

 

न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा

"सत्याग्रह करने का क्या मतलब है। आपने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। अदालत पर भरोसा रखें। एक बार जब आप अदालत का दरवाजा खटखटा चुके हैं, तो विरोध का क्या मतलब है? क्या आप न्यायिक प्रणाली का विरोध कर रहे हैं? व्यवस्था में विश्वास रखें।"

 

याचिकाकर्ता के वकील अजय चौधरी ने कोर्ट से कहा कि "किसान महापंचायत" प्रदर्शनकारियों के उस समूह का हिस्सा नहीं है, जिन्होंने दिल्ली-एनसीआर में सड़क-नाकाबंदी का आयोजन किया है। उन्होंने आगे कहा कि सड़कों को पुलिस ने अवरुद्ध किया था न कि किसानों ने। इस पर  न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार ने वकील से इस आशय का एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा जिससे यह पता चल सके कि याचिकाकर्ता सड़क नाकाबंदी का हिस्सा नहीं है। पीठ ने वकील से भारत के महान्यायवादी को याचिका की अग्रिम प्रति देने को कहा और मामले को अगले सोमवार को सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया।

 

Supreme Court ने पूछा था- हाईवे कैसे ब्लॉक कर सकते हैं?

इससे पहले न्यायमूर्ति संजय किशन कौल के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ ने गुरुवार को भी पूछा था कि प्रदर्शनकारी हर रोज हाईवे को कैसे ब्लॉक कर सकते हैं? अधिकारियों की ड्यूटी है कि वे कोर्ट द्वारा तय की गई व्यवस्था को लागू कराएं। केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने इस बात की इजाजत दे दी है कि वह किसान संगठनों को इस मामले में पक्षकार बनाए।

 

कोर्ट ने कहा कि जो भी समस्या है, उसका समाधान जूडिशियल फोरम या संसदीय चर्चा से निकाला जा सकता है। बता दें नोएडा की एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि दिल्ली बॉर्डर ब्लॉक किए जाने से नोएडा से दिल्ली पहुंचने में 20 मिनट के बजाय दो घंटे लगते हैं और यह एक बुरे सपने की तरह है।

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