मोदी सरकार पर बरसी सुप्रीम कोर्ट: कहा- "आप हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं, इस अदालत के फैसले का कोई सम्मान नहीं "

Supreme Court Expresses Displeasure Over Tribunals Reforms Act : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ट्रिब्यूनल में रिक्तियों को भरने में देरी और ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट पारित करने के लिए केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई।
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Supreme Court Expresses Displeasure Over Tribunals Reforms Act सुप्रीम कोर्ट ट्रिब्यूनल सुधार एक्ट और नियुक्तियों में हो रही देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार काे फटकार लगाई। कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि केंद्र सरकार को  इस अदालत के फैसलों का कोई सम्मान नहीं है। कोर्ट ने मोदी सरकार को यहां तक कहा कि आप हमारे धैर्य की परीक्षा मत लीजिए अगर आपका रवैया नहीं बदला तो हम आप पर अदालत की अवमानना की कार्रवाई करेंगे। Read Also : तालिबान का पंजशीर पर कब्जा!, NRF ने दावा खारिज करते हुए कहा पाकिस्तानी फौज और ISI हमसे लड़ रहीं

 

कोर्ट ने पूछा ट्रिब्यूनल में कितने व्यक्तियों की नियुक्ति हुई

लाइव लॉ के मुताबिक ट्रिब्यूनल में खाली पदों को भरने में देरी और ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट पारित करने को लेकर भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एल नागेश्वर राव की स्पेशल बेंच सुनवाई कर रही थी। इस दौरान कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को फटकार लगाते हुए सीआईजे ने कहा कि "इस अदालत के फैसले का कोई सम्मान नहीं है। आप हमारे धैर्य का परीक्षण कर रहे हैं? कितने व्यक्तियों को नियुक्त किया गया था? आपने कहा कि कुछ व्यक्तियों को नियुक्त किया गया था? नियुक्तियां कहां हैं?" Read ALso : कंडोम लगा होने का मतलब यह नहीं कि SEX सहमति से हुआ है: सहकर्मी की पत्नी से रेप के आरोपी से कोर्ट

 

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हम आप पर अदालत की अवमानना की कार्रवाई करेंगे

सीआईजे ने कहा कि "हमारे पास केवल तीन विकल्प हैं। पहला, हम कानून पर रोक लगा दें। दूसरा, हम ट्रिब्यूनल को बंद कर दें और उच्च न्यायालय को शक्तियां दे दें। तीसरा, हम खुद नियुक्तियां कर सकते हैं।" साथ ही कहा कि ऐसा करने के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाही शुरु करने पर भी विचार कर सकता है। Read Also : Sex को महिलाएं न करें नजरअंदाज, इसके फायदे जानकार हैरान रह जाएंगी आप

 

इस तरह ट्रिब्यून कमजोर हो रहा है
कोर्ट ने आगे कहा कि सशस्त्र बलों के ट्रिब्यूनलों में भी पद खाली हैं, इसलिए सभी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के पास आ रही हैं। कहा गया कि केंद्र सदस्यों की नियुक्ति न करके ट्रिब्यूनल को कमजोर कर रहा है।

 

न्यायाधिकरणों का कामकाज ठप हो गया है
"न्यायाधिकरण अधिनियम वस्तुतः मद्रास बार एसोसिएशन में इस न्यायालय द्वारा रद्द किए गए प्रावधानों की प्रतिकृति है।" सदस्यों की कमी के कारण एनसीएलटी और एनसीएलएटी जैसे न्यायाधिकरणों का कामकाज ठप हो गया है। "एनसीएलटी और एनसीएलएटी देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। रिक्तियों के कारण, एनसीएलटी और एनसीएलएटी समय-सीमा का पालन करने में सक्षम नहीं हैं। एनसीएलटी और एनसीएलएटी के मानव रहित होने के कारण, एक गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है। एएफटी के साथ भी यही स्थिति बनी हुई है।" - न्यायमूर्ति चंद्रचूड़

 

क्यों नहीं हुई नियुक्तियां
नियुक्तियां अदालत द्वारा पारित विभिन्न निर्देशों के अनुरूप क्यों नहीं की गई हैं। - न्यायमूर्ति नागेश्वर राव, जिन्होंने पिछले दो मद्रास बार एसोसिएशन के फैसले लिखे थे

 

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एक हफ्ते में नियुक्ति आदेश जारी करने का समय दिया

सॉलिसिटर जनरल ने जवाब के लिए 2-3 दिन का समय मांगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि पिछली सुनवाई में भी पूछा गया था कि आपने (केंद्र) ट्रिब्यूनलों में कितनी नियुक्तियां की हैं, लेकिन आप कोई जवाब नहीं दे पाए। अदालत ने केंद्र को ट्रिब्यूनलों में नियुक्ति के लिए एक हफ्ते का वक्त देते हुए कहा कि हमें उम्मीद है कि केंद्र नियुक्तियों के आदेश जारी करेगी। अदालत ने कड़े लहजे में कहा कि "हम किसी टकराव में दिलचस्पी नहीं रखते या आमंत्रित नहीं करते हैं। हम इसे अगले सोमवार को सूचीबद्ध कर रहे हैं। तब तक नियुक्तियां की जानी चाहिए।"

 

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