मेरठ में मिला जानलेवा बीमारी स्क्रब टाईफस का पहला मरीज, यूपी में जा चुकी 100 से ज्यादा जान, कोरोना की तरह नहीं है इलाज

उत्तरप्रदेश के मेरठ (Scrub Typhus In Meerut) में भी स्क्रब टाइफस ने दस्तक दे दी है। एक महिला मरीज की गाजियाबाद से आई जांच रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई है। 

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देश में कोरोना की तीसरी (Corona 3rd Wave) लहर की आशंका के बीच कई सीजनल एलर्जी और इन्फेक्शन समेत कई अन्य बीमारियां सामने आ रही है। यूपी के कुछ शहरों में कई बच्चे रहस्यमी बुखार से तप रहे हैं। अचानक बुखार इस कदर बढ़ जाता है कि सांस लेना भी दूभर हो जाता है। महज दस दिन में ही 100 से ज्यादा मौत की खबरें सामने आई हैं। इन मौतों के लिए स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus) को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है  मथुरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी और आगरा के बाद यह बीमारी मेरठ पहुंच गई है। मेरठ में एक महिला में इस बीमारी की पुष्टि हुई है। इस महिला की जांच गाजियाबाद में हुई थी, जहां रिपोर्ट में स्क्रब टाइफस की पुष्टि हुई। 

 

भले ही, यह वायरल बीमारी कोरोना से अलग है, लेकिन इसके लक्षण कोविड-19 से मिलते जुलते हैं। असावधानी बरतने पर कोरोना की तरह स्क्रब टाइफस का कोई इलाज नहीं है। ऐसे में बरसात के मौसम में इस बीमारी को लेकर अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल (एनएचपी) के अनुसार, स्क्रब टाइफस भारत के कई हिस्सों में फैल चुका है. इसमें जम्मू से लेकर नागालैंड तक उप-हिमालयी बेल्ट भी शामिल हैं। 2003 से 2004 और 2007 में, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और दार्जिलिंग में स्क्रब टाइफस के फैलने की खबरें भी आई थीं।

 

स्क्रब टायफस कैसे होता है?

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (US CDC) के अनुसार स्क्रब टाइफस ( Scrub Typhus) बीमारी ऑरेंटिया सुसुगामुशी ( Orientia tsutsugamushi ) नामक जीवाणु से होती है। यह बैक्टीरिया ट्रॉम्बिक्युलिडे माइट्स (दीमक) के डंक में मौजूद होता है, जिसे रेड माइट्स, चिगर्स या स्क्रब-इच माइट्स भी कहा जाता है। मतलब यह एक प्रकार की संक्रमित घुन, छोटे कीट, गिलहरी और चूहे के काटने से होती है। पशुओं के मल-मूत्र में बैठने वाले कीटों, खराब भोज्य पदार्थों में लगे कीटों के कारण भी यह बीमारी फैल सकती है। स्क्रब टाइफस एक जीवाणुजनित संक्रमण है समय पर इलाज न मिले तो यह बीमारी बढ़ सकती है और लोगों की मौत की बड़ी वजह बनता है। Read Also : UP Assembly Election से पहले पुलिस विभाग में फेरबदल, 115 इंस्पेक्टरों के तबादले किए गए, पूरी लिस्ट देखें

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क्या है स्क्रब टायफस के लक्षण?

इसके लक्षणों में बुखार और ठंड लगना शामिल है। इसके बाद सिरदर्द, शरीर में दर्द और मांसपेशियों में दर्द, बुखार और ठंड लगने जैसी परेशानी होती है जैसा कि कोविड के मामले में होता है। हालांकि, एक स्क्रब टाइफस रोगी कोविड -19 के कई मामलों के विपरीत गंध और स्वाद बना रहता है। कुछ रोगियों में जोड़ों में दर्द भी होता है, जो चिकनगुनिया का लक्षण है। शरीर में जिस स्थान पर कीड़े ने काटा होता है वहां गहरे रंग का निशान पड़ जाता है, या नील पड़ जाता है। कुछ समय बाद उस स्थान पर पपड़ी जमाना। त्वचा पर लालिमा और चकत्ते आना। यह समय के साथ सेंट्रल नर्वस सिस्टम, कार्डियो वस्कुलर सिस्टम, गुर्दे, सांस से जुड़ी और गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल सिस्टम को प्रभावित करता है। गंभीर मामलों में, यह निमोनिया, एन्सेफलाइटिस (चमकी/दिमागी बुखार), दिल का दौरा या यहां तक कि कोमा का कारण बन सकता है। कई मामलों में मल्टी ऑर्गन फेल्योर से रोगी की मौत भी हो सकती है।

 

स्क्रब टायफस का इलाज क्या है?

हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि बीमारी का शुरुआती स्तर पर पता लगना बहुत जरूरी है। सीडीसी का कहना है कि अगर कोई स्क्रब टाइफस से संक्रमित हो जाता है, तो व्यक्ति को एंटीबायोटिक डॉक्सीसाइक्लिन से इलाज करना चाहिए। एजेंसी के अनुसार, जिन लोगों का डॉक्सीसाइक्लिन के साथ जल्दी इलाज किया जाता है, वे आमतौर पर एक सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं। Read Also : Real Estate in India: Up and Coming AweSpace Ventures Announce Launch Date for Flagship Program

 

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स्क्रब टाइफस से बचाव (Prevention)

स्क्रब टाइफस बीमारी के लक्षण काफी हद तक चुकनगुनिया से मेल खाते हैं। इससे बचने के लिए कपड़ों और बिस्तर आदि पर परमेथ्रिन और बेंजिल बेंजोलेट का छिड़काव करना चाहिए।

 

क्या स्क्रब टाइफस के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध है?

सीडीसी के अनुसार, स्क्रब टाइफस को रोकने के लिए अभी कोई वैक्सीन नहीं है। इसका एकमात्र उपाय संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाना है। कोरोना की तरह सोशल डिस्टेंसिंग का नियम इस बीमारी पर भी फिट बैठता है। सीडीसी के अनुसार एजेंसी का कहना है कि यह संक्रमण उन जगहों पर जाने से बचना चाहिए जहां यह स्क्रब टायफस आम है। यह कीड़ा घास, पौधों या ज्यादा नमी वाले स्थानों पर होता है।

 

भारत के अलावा यह बीमारी कहां-कहां है?

भारत के अलावा इंडोनेशिया, चीन, जापान और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण इलाकों से स्क्रब टाइफस के मामले सामने आए हैं।

 

मेडिकल काॅलेज में जल्द शुरू होगी जांच

मेरठ के मेडिकल कॉलेज में अभी तक स्क्रब टाइफस की जांच की सुविधा नहीं है, लेकिन जल्द ही यह व्यवस्था शुरू हो जाएगी। इसके लिए मेडिकल कॉलेज में जांच किट भी आ चुकी है, अब जिले में पहला मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभागजल्द ही इसकी जांच शुरू करने की तैयारी कर रहा है। 

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